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ट्रांसक्रिप्ट
नेपच्यून की 14 चन्द्रमाएं कमाल की हैं।
उनमें से अधिकांश छोटे आलू के आकार का बर्फ और चट्टान के टुकड़े हैं।
उनमें से कुछ नेप्चून से इतनी दूर हैं कि उन्हें एक बार नेप्चून की परिक्रमा करने के लिए 29 वर्ष लग जाते हैं।
उनमें से लगभग सभी क्षुद्रग्रहों हैं जो नेप्च्यून के गुरुत्वाकर्षण से बंधे हैं।
नेपच्यून के आसपास का 99.5% द्रव्यमान ट्राइटन में केंद्रित है।
यह इसका 7वाँ सबसे बड़ा चाँद है, और हमारे सौर मंडल के अन्य सभी ज्ञात चंद्रमा
जो संयुक्त रूप से खुद से छोटे हैं, की तुलना में अधिक भारी है।
इसकी सतह का क्षेत्रफल रूस और ऑस्ट्रेलिया की मुख्यभूमि के लगभग बराबर है ।
इसके अलावा, ट्राइटन हमारे सौर मंडल उन केवल चार ज्ञात वस्तुओं में से एक है जो कि भौगोलिक रूप से सक्रिय है।
ट्राइटन नेपच्यून के घूर्णन की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करता है
जो कि हमारे सौर मंडल में एक ट्राइटन जैसे बड़े पिंड के लिए अद्वितीय है।
इससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ट्राइटन हमेशा नेपच्यून का एक चाँद नहीं था
बल्कि यह शायद एक बौना ग्रह था जो नेपच्यून के वश में आ गया
जब हमारा सौरमंडल नया और अस्तव्यस्त था।
यहाँ सबसे लोकप्रिय सिद्धांत यह है कि ट्राइटन एक बार एक डबल सिस्टम का हिस्सा था
जब नेपच्यून सौर मंडल के बाहरी किनारों पर चला गया और
इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने इसे डबल प्रणाली से अलग होने को मजबूर कर दिया
जबकि ट्राइटन को अपनी नयी कक्षा में विस्थापित कर दिया।
इससे शायद नेपच्यून की अन्य चन्द्रमाओं की कक्षाओं तितर-बितर हो गयी
और या तो इस वजह उन्हें नेपच्यून दूर धकेल दिया गया
या उन्हें नेपच्यून में टकराना पड़ा।
यही कारण होगा कि नेप्च्यून के चन्द्रमाएँ ट्राइटन द्वारा प्रभावित हैं।
लेकिन, एक दिन यह खत्म हो जाएगा,
क्यूंकि नेपच्यून ट्राइटन को धीमा कर रहा है,
और आखिरकार,
या तो ये इसमें टकराकर ध्वस्त हो जाएगा
या फिर नेप्च्यून के गुरुत्वाकर्षण शक्ति से ट्राइटन इसके चारों ओर सैटर्न (शनि) की तरह विशाल रिंग सिस्टम में बदल जाएगा
तो दोस्तों, ट्राइटन पर कोई प्रॉपर्टी मत खरीदना।