जनसंख्या अतिरिक्तता – मानवीय विस्फोटक तोड़ | Kurzgesagt

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इतिहास में पहले जनसंख्या कभी इतनी नही बड़ी थी जितनी अभी है

हमारी संख्या आसमान छु रही है, 1 बिलियन से 1800, 1940 में 2.3 बिलियन से, 1970 में 3.7 बिलियन , और 2016 में 7.4 बिलियन |

इस बुघोल की जनसंख्या पिछले शतापदि चार गुना बढ़ चुकी है तो अगले शतापदि में हम क्या उम्मीद रख सकते हैं ?

भविष्य में जनसंख्या की बढोत्तरी हमारे लिए क्या मायने रखते हैं ?

क्या तब सामूहिक पलायन होगा ?

भीड़ मलीन बस्तियां और महाद्वीपों में महाशहर भर जाएंगे |

बीमारियां और प्रदूषण ?

ऊर्जा, पानी और खाने पर अराजकता और हिंसा होगी ?

और इन्सान का दयान सिर्फ उसकी वर्ग को बचने में होगी?

क्या जनसंख्या में बढोत्तरी हमारी जीवन शैली को बर्बाद कर देगी ?

या यह भविष्यवाणी बस एक भूमिगत डर है?

1960 के दशक में जनसंख्या की बढोत्तरी एक उच्च स्तर में पोहुंच गयी थी |

जो सर्वनाशक भविष्यवाणियों की तरफ ले गया |

गरीब तापकों ने अपने वंश को विकसित भूमि में तीव्रगति से बढ़ाया |

तीव्र जनसंख्या का आदर्श पैदा हुआ |

मगर यह ज्ञात होता हैं कि अधिक जन दर और जन विस्फोट कुछ देशों और संस्कृतियों में एक सताई दर नहीं है

मगर यह एक चार चालें है जिससे यह धरती गुजर रही है |

यह जनसांख्यकीय संक्रमण है |

ज्यादातर विकसित देशों ने यह संक्रमण कर ली हैं, जबकि और देश इस संक्रमण कि रह पर चल रहे हैं |

18 वीं सदी की ओर चलते हैं, जब सरे देश जिनमे यूरोपीय देश भी थे ,जनसांख्यकीय संक्रमण की पहले चरण में थे |

आज की दशा देखी जाए तो यूरोप बहुत बदतर था, तब एक विकासुन्मुख क्षेत्र था जो बुरे शौच, बुरे खाने की आदत,और बुरे दवाओं की दशा से पीड़ित थी |

जन संख्या एक ओर बढ़ रहा था मगर एक ओर मृत्यु दर भी उसी के समान था इसीलिए जनसंख्या को बढ़ने का मौका ही नहीँ मिला |

महिलायों को 4 से 6 बच्चे होते थे मगर 2 ही बच्चे अपने जवानी को देख सकते थे |

फिर कारखानों का दशक UK में आया.और कृषि आंदोलन के बाद लोगों के जीवन में सबसे बड़ी बदलाव लाया |

लोग कृषि छोड़कर मजदूर बनने लगे |

निर्मित सामग्रियां बड़ी मात्रा में बनने लगीं और लोगों को आसानी से मिलने लगीं |

विज्ञान और उन्नत यातायात, संचार, और दवाएं भी बढ़ने लगा |

महिलाओं का कार्य शैली में बदलाव आया और ऐसी स्तिति पैदा हुई की वह अपनी जीवन पर ड़याँ दे सकें |

महिलाओं का कार्य शैली में बदलाव आया और ऐसी स्तिति पैदा हुई की वह गुलामी से मुक्त हो गयीं |

अब दूसरा पलायन चरण शुरू हुआ |

अछि खान पान , स्वछता और दावा के कारण लोगों की मृत्यु दर घटने लगी , खास कर के जवान लोगों की |

इसका परिणाम जनसंकयिक बढोत्तरी हुआ |

UK की जनसंख्या 1750 से 1850 में दुगनी हो गयी |

परिवार के कई बच्चों के पैदा करने का एक कारण यह था की कुछ ही बच्चे आखिर तक जीते हैं |

अब यह बदल गया था इसीलिए तीसरा चरण शुरू हो चूका था |

कम बच्चे पैदा करने लगे थे और जनसंख्या की बढोत्तरी घाटी |

अंततः एक संतुलन उभरा है, कम लोग पैदा हुए और कम लोग मारने लगे तो जन्म दर और मृत्यु दर अब स्तिर है |

ब्रिटैन जनसंख्याकिक पलायन चौथी चरण पर आ चुकी है |

यह सिर्फ UK में ही नहीँ , और कई देशों में भी चल रहा है |

पहले, ख़राब जीवन शैली के कारण कई जन्म और मृत्यु हो रही थी |

दूसरा, अच्छे जीवन शैली के कारण जन्म और मृत्यु के दर कम हो रही थी |

तीसरा, कम मृत्यु दर के कारण कम जन्म दर होने लगीं जिसके कारण जनसंकयिक बढोत्तरी ख़त्म हो गयी |

मगर अगर जन्म दर कम हो गयी है तो जनसंख्या बढ़ क्यों रही है?

अच्छा, जो ७० और ८० के दशक में पैदा हुए जनसंकयिक विस्फोट के कारण , उनके भी बच्चे हो गए हैं |

जिसके कारण जनसंख्या में ध्यान देने योग्य बढोत्तरी हुई है |

मगर उनके बच्चे उनके माता पिता के मुकाबले कई गुना कम हैं |

इसकी औषत आज 2.5 है जोकि 40 साल पहले 5 था |

तो जैसे जैसे पीढ़ियां भूड़ि होती जाएंगी और जननक्षमता कम होती जायेगी, जनसंकयिक बढोत्तरी बहुत कम हो जायेगी |

यह हर देश के लिए सत्य है |

पश्चिम में हम धरती के कई देशों की प्रगति को अनदेखी कर जाते हैं |

मगर वाकई में कई देश चौथी चरण पर चलना शुरू कर चुकी है |

अकेले बांग्लादेश को देखें तो एक महिला को १९७१ में 7 बच्चे होते थे मगर 25% बच्चे 5 साल के उम्र में ही मर जाते थे |

2015 में मृत्यु दर 3.8% कम हो गयी थी और महिलायों को 2.2 बच्चे ही औसतन पैदा होते हैं |

यह एक नियम है, कोई अपवाद नहीं, हम कोई विशेष नहीं , हमे बस एक शुरुआती बदत मिली हुई हैं |

जन्म दर ६ से ३ के नीचे लाने में कई विकसित देशों को ८० साल लगे हैं |

कई और देश भी साथ आने की कोशिश कर रहीं है, मलेशिया को 34 साल और बांग्लादेश को सिर्फ 20 साल लगे हैं |

ईरान १० साल में इस उप्लब्दी को पा चुकी है |

यह देश जिन्हें शून्य से शुरू नहीं करनी पड़ी थी वह अब साथ आने की कोशिश कर रहे हैं और जैसे जैसे ज्यादा मदद मिलेगा वैसे वैसे जल्दी विकसित देशों के पास आ पाएंगे |

इसीलिए ऐसे कार्यक्रम जो बच्चों की मृत्यु दर कम करती हैं और गरीब देशों को मदद करती हैं, वह बहुत जरूरी हैं |

यह कोई जरूरी नहीं की आपकी प्रेरणा क्या हैं, अगर आप इस धरती के लोगों को आजादी और संपत्ति के साथ रहें या कम रिफ्यूजी आपके देश में आएं ,

एक आसान सा सत्य यह है कि चाहे यह आपके लिए लाभदायक हो कि धरती कि दूसरी छोर पर रहने वाले लोग अच्छे तरीके से रहते हैं |

और हम वहां पर आ रहें हैं , आज इस दुनिया में अधिक्तम गरीबी सबसे कम हैं |

इसीसलिए धरती के लोगों की भविष्य सर्वनाश की ओर नहीं बढ़ रही है, यह वादा है |

जनसंकयिक बढोत्तरी एक समाप्ति की ओर बढ़ रहा है |

UN पूर्वानुमान कर चूका हैं कि 12 बिलियन वा आदमी कभी पैदा ही नहीं होगा

और जैसे जैसे दुनिया में विकास दर बढ़ता जाएगा वैसे ही शिक्षा दर 10 गुना तक बढ़ेगी |

देश जो एक की जरूरत होने के लिए इस्तेमाल होती थी वह प्रगति की ओर तीव्र गति से बढेगा |

ज्यादा लोगों के मतलब यह हैं की ज्यादा प्रगति करेगा हमारा नस्ल |

यह विडियो Max Roser and OurWorldinData के संग के कारण ही हो पाया जिन्होनें अनुसन्धान और डाटा दृश्य को पता लगाया |

आप जरूर इसको देखें |

साल 2016 में हम Patreon.com में मिली आपके साथ के कारण ही कई वीडियोस बना सके है |

बहुत बहुत धन्यवाद आपका , हम 2017 में वापस आएंगे |

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